ग्रहण दोष क्या होता है
ग्रहण दोष सम्पूर्ण जीवन और सुख-दु:ख का विचार कुण्डली के बारह भावों से किया जाता है। ग्रह, और उनकी दशायें हमारे जीवन की दिशा निर्धारित करती हैं। ऐसे ही हम कुन्डली में उपस्थिति होने वाले एक प्रमुख दोष अर्थात ग्रहण दोष के बारे मे जानकारी देना चाहते है। सबसे पहले यह जानना बहुत जरूरी है कि आखिर ये दोष होता क्या है, और इसका हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पडता है!
How to affect Grahana dosha ग्रहण दोष क्या होता है इसके उपाय क्या है

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How to affect Grahana dosha ग्रहण दोष क्या होता है इसके उपाय क्या है
किन ग्रहों के योग से बनता है ग्रहण दोष
सबसे पहले जान लेते हैं कि कुण्डली में ग्रहण दोष बनता कैसे है, किसी भी व्यक्ति की जन्मकुण्डली में किसी भी भाव में जब आत्मा कारक सूर्य या मन के कारक चंद्रमा के साथ राहू और केतु में से कोई भी एक ग्रह उपस्थित होता है, तो सूर्य ग्रहण और चन्द्र ग्रहण योग बनता है। इसके इलावा यदि जन्म कुण्डली के लग्न भाव में राहू आ जाये तो भी ग्रहण योग बनता है! अर्थात सूर्य, कुण्डली के किसी भी अन्य भाव में बैठा हो तो भी शुभ फल की प्राप्ति नहीं हो
ग्रहण दोष के प्रभाव [How to affect Grahana dosha]
।ज्योतिष का एक नियम है यदि किसी ग्रह के सामने उसका शत्रु ग्रह बैठ जाये, तो वह ग्रह फ़लहीन हो जाता है । याने कि ना ही उसका शुभ फ़ल मिल पाता है और ना ही बुरा फ़ल। जैसे कई बार देखा जाता है कि किसी व्यक्ति की कुण्डली में राजयोग नजर नहीं आता परन्तु कुंडली में राजयोग उपस्थित होता है।
ग्रहण दोष के जातकों का व्यक्तित्व !
कई बार आपने देखा होगा कि व्यक्ति के पास उच्च शिक्षा नहीं होती परन्तु उसके अनुभव के आधार पर बडे-२ पदाधिकारी उनसे अनुभव अर्जित करने के लिये आते हैं ।इसी प्रकार यदि यदि जन्म कुण्डली में सूर्य और शनि आमने सामने हो और लग्न भाव में राहू आ जाये तो गुप्त राजयोग का निर्माण हो जाता है ! ऐसी कुंडली में लग्न में बैठा हुआ राहू शुभ फल देता है ! और उस व्यक्ति के शत्रु कभी भी उस पर चाहते हुये भी हावी नहीं हो पाते। अर्थात उसके शत्रुओं का नाश हो जाता है।
राजयोग से परिपूर्ण !
ऐसे व्यक्ति को अक्सर देखा जाता है कि इनकी पहुंच बहुत ऊंचे पद तक होती | और ये लोग प्रतिष्ठा भी बहुत पाते हैं। मान, सम्मान, यश और कीर्ति की इन लोगों के पास कोई कमी नहीं होती राजनीति में भी ये लोग बहुत अच्छी पहचान रखते है, इनके मित्रों की सख्या भी बहुत अधिक होती है | और मित्रों के सहयोग से भी ये बडे-२ कामों को अन्जाम दे जाते हैं।ऐसी कुंडली में भी लग्न में बैठा हुआ राहु, ग्रहण योग का निर्माण करता है जो कहीं ना ना कहीं और किसी ना किसी मोड पर सम्मान को ठेस पहुंचाने का दम रखता है।
ग्रहण दोष के उपाय I
किसी भी कुण्डली में ग्रहण दोष मुख्य रूप से तो प्रकार का होता है एक सूर्य ग्रहण और दूसरा चन्द्र ग्रहण। सूर्य सम्बन्धि दोष का निवारण सूर्य ग्रहण के दिन और चन्द्र सम्बन्धि दोष का निवारण चन्द्र ग्रहण के दिन करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। अगर इस दोष की शान्ति शास्त्रीय पध्दत्ति से की जाय तो, निश्चित रूप से जिस भाव में ये दोष बना हो उसके फ़ल में इजाफ़ा होता है। और पितृ सुख के साथ राज सुख की प्राप्ति होती है। इस दोष की सही जानकारी के लिये किसी विद्वान ज्योतिषी से ही कुण्डली का विश्लेषण करवाना चाहिए
कैसे हो चंद्रमा के ग्रहण के दुष्प्रभाव को समाप्त किया जाए
शुक्ल पक्ष की सप्तमी से पूर्णिमा तक भगवान चंद्रशेखर का पूजन कर चंद्रमा को ॐ चंद्रशेखराए नमः ॐ सोम सोमाय नमः
का जाप कर अर्घ्य दे चांदी के लोटे से माता के चरण धोकर उसका टीका लगाए
चंद्र ग्रहण के अशुभ प्रभाव आपको कुछ हानि नहीं पहुंचा पाएंगे
कृपया उपाय बताएं गए उपाय उचित मुहूर्त में किया जाना चाहिए
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